ग़ज़ल

ग़ज़ल: यूँ ख़फ़ा भी…

यूँ ख़फ़ा भी कहाँ थे तब हम पर
तुम बहुत जाँ फ़िशाँ थे तब हम पर.

उन दिनों खेलते थे तारों से
तुम हुए आस्मां थे तब हम पर.

मन मुताबिक़ जहाँ में जी लेंगे
त़ारी कितने गुमां थे तब हम पर.

याद आई गली वो रूस्वाई
चीखते सब दहां थे तब हम पर.

हम तरद्दुद न इश्क़ के माने
वो जुनूं,हाँ जी हाँ थे तब हम पर.
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